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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

* लेसर (LASER - Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation ):- यह एक ऐसी युक्ति है जिसमे विकिरण से प्रेरित उत्सर्जन द्वारा एकवर्णीय प्रकाश प्राप्त किया जाता है. इन लेसर तरंगो की आवृति एक सामान होती है.
लेसर की खोज १९६० में थियोडोर मेनन (अमेरिका) ने की थी.

* ट्रेटर प्रौधोगिकी :- इस तकनीक का प्रयोग बहुजीन ट्रांसजेनिक फसलों (अनुवांशिक जीनों के प्रोसेस से निर्मित) के उत्पादन में किया जाता है l इस तकनीक से विकसित बीजों का अंकुरण तो हो जाता है लेकिन उसमे रूपांतरित लक्षण तब तक नहीं आते जब तक इनमे विशेष तौर से विकसित रसायनों का उपयोग न किया जाये.

* बायोमेट्रिक तकनीक :- यह तकनीक व्यक्ति को उसके शारीरिक एवं व्यावहारिक विशेषताओ, गुण तथा दोषों के आधार पर पहचानने, सत्यापित करने तथा मान्यता प्रदान करने की स्वचालित विधि है.  इसके अंतर्गत व्यक्ति का चेहरा, फिंगरप्रिंट, हथेली की रेखाएं, रेटिना, लिखावट, ब्लड पल्स, तथा आवाज की विशेषताओं की जांच की जाती है.

* रोबोटिक्स :- विज्ञान की वह तकनीक जिसके माध्यम से माईक्रोप्रोसेसर , कैमरा, और संवेदी यंत्रों से युक्त किसी संरचना को इस प्रकार संयोजित/नियंत्रित किया जाता है की वह एक स्वचालित मशीन के रूप में कार्य करता है.
१९१३ में सर्वप्रथम अमेरिका के वैज्ञानिकों ने " जार्ज " नमक रोबोट का निर्माण किया.

* स्टेम सेल तकनीक :- स्टेम सेल ऐसी मूलभूत कोशिकाएं होती है जिन्हें मानव शरीर के फेफड़े, त्वचा, आँख के रेटिना, मांसपेशियाँ, यकृत, मष्तिष्क, तंत्रिका तंत्र, और ह्रदय आदि की लगभग २५० विभिन्न प्रकार की कोशिकयों या उतकों में विकसित या परिवर्तित किया जा सकता है.
इसे मानव शरीर में आसानी से प्रतिरोपित कर अनुवांशिक बीमारी सहित कई बिमारियों को ठीक किया जा सकता है.
भारत में स्टेम सेल तकनीक हेतु प्रथम अनुसंधान केंद्र के स्थापना हैदराबाद में की गई है.

* क्लोनिंग :- क्लोन वास्तव में एक जीव अथवा रचना है जो गैर-यौनिक विधि द्वारा एकल जनक (माता-पिता में से कोई एक) से व्युत्पन्न होता है. इस तकनीक में सर्वप्रथम कोशिका से नाभिक को यांत्रिक विधि द्वारा निकाल लिया जाता है और फिर नाभिक रहित अंडाणु में प्रवेश कराया जाता है अंततः पूर्ण विकसित अंडाणु को प्रतिनियुक्त माँ (Sarrogate Mother) के गर्भ में आरोपित कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया के साथ ही गर्भाधान, बच्चे का विकास और जन्म की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है.. क्लोन पैदा करने की इस तकनीक को क्लोनिंग कहते है.

* जैविक कृषि :- कृषि की वह पध्दति जिसमे खेतों की जुताई और उत्पादन में वृध्दि के लिए उन तकनीकों का प्रयोग किया जाता है जिनसे मृदा की जीवन्तता भी बनी रहे और पर्यावरण को भी नुकसान न हो.  इस तकनीक में मृदा को भौतिक तत्त्व न मानकर जैविक माना जाता है और रसायन विहीन खेती की जाती है.

* ग्लोबल वार्मिंग :- ग्रीन हाउस गैसों (क्लोरोफ्लोरोकार्बन, कार्बन डाईआक्साइड, मीथेन, नाईट्रस आक्साइड आदि) की बढती सांद्रता से पृथ्वी के वायुमंडलीय तापमान में जो वृध्दि हो रही है उसके परिणामस्वरूप ग्लेसियरों के पिघलने का खतरा है जिससे समुद्रों में जल का स्तर बढ़ जायेगा. तापमान वृध्दि की इस प्रक्रिया को ग्लोबल वार्मिंग कहते है.
विश्व में सर्वप्रथम ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पापुआ न्यू गिनी देश का एक द्वीप डूब गया है.

* ई-अपशिष्ट / ई-कचरा :- इलेक्ट्रोनिक उत्पादों के ख़राब होने के उपरांत उनका विनिष्टीकरण पूर्ण वैज्ञानिक पध्दिती से नहीं हो पाता परिणामतः इसमें से निकलने वाले रेडियोधर्मी विकिरण पर्यावरण और जीव जगत के लिए नुकसानदायक होते है... कई विकसित देश डंपिंग के द्वारा इन अनुपयोगी उत्पादों को अल्पविकसित देशों में भेज देते है जिससे भू-गर्भिक जल संसाधन प्रदूषित हो गए है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिशा में सकारात्मक पहल कर अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने का निर्णय किया है.

* 3G तकनीक :- यह ३री पीढी की संचार तकनीक है जिसके माध्यम से हाईस्पीड इन्टरनेट, तीव्र डाटा सम्प्रेषण दर, वीडियो कॉल, आधुनिक मल्टीमीडिया सुविधायों के साथ साथ मोबाइल टीवी की सुविधा भी उपलब्ध होगी.
भारत में सर्वप्रथम इस तकनीक का प्रारंभ बीएसएनएल कंपनी ने किया है.

1 comment:

  1. आप का ब्लॉग काफी ज्ञानवर्धक लगा| धन्यवाद|

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